पशु आहार की दुकान पर पुष्टाहार मिलने पर क्यों नहीं हुई राही ब्लॉक की सीडीपीओ रमाकांत ई पर कारवाही ?
1 min readसन्दीप मिश्रा
रायबरेली । आंगनबाड़ी कर्मचारियों के साथ किस तरह का व्यवहार हो रहा है । इसका एक और मामला सामने आया है जिसमें पशु आहार की दुकान पर पुष्टाहार मिलने पर हुई जांच में बरती गई लापरवाही है
। बताते चलें कि 5 सितंबर को सलोन में एक पशु आहार की दुकान पर सरकार द्वारा बांटी जाने वाली पंजीरी के पैकेट भारी मात्रा में बरामद हुए थे । जिसकी जांच के लिए दर्जन भर टीमें गठित की गई थी । बताते हैं कि जांच टीम को राही ब्लॉक की भी पंजीरी पशु आहार की दुकान पर मिली थी और जिस की भी जांच की गई थी । परंतु इस जांच में लापरवाही की बात सामने आई है क्योंकि जांच की गाज केवल और केवल आंगनबाड़ी कर्मियों पर ही गिरी जबकि सुपरवाइजर और सीडीपीओ का कार्यभार संभाल रही रमाकांति पर कोई कार्यवाही नहीं हुई । बताते चले कि पुष्टाहार बटवाने मे सबसे बड़ी जिम्मेदारी सीडीपीओ पर ही होती है । परंतु विभाग ने पूरी तरह से राही की सीडीपीओ रमाकांती को इस कालाबाजारी से दूर रखा । इसका सबसे बड़ा कारण जो निकल कर आता है वह यह बताया जाता है की सीडीपीओ रमाकांती भी उसी तर्ज़ पर चल रही है । जिस तर्ज पर संध्या श्रीवास्तव अपना काम कर रही हैं । संध्या श्रीवास्तव का काम कुछ इस तरह है कि उनके कार्य से आंगनबाड़ी कर्मी अपनी जान बचाते फिर रहे हैं । क्योंकि उनका साफ कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्र चलाना है तो कम से कम ₹500 प्रतिमाह उनके पास भेजा जाए और यह सुविधा शुल्क के लिए वह साफ कहती हैं कि केंद्र में बच्चों की संख्या ज्यादा दर्ज है जबकि वास्तव में बच्चों की संख्या केंद्र में बहुत ही कम है तो इनके लिए जो भी पुष्टाहार आता है उसे खुले बाजार में बेचकर कम से कम 500 रुपये उनके पास जरूर पहुंचा दिया जाए। शायद यही कारण है कि पुष्टाहार को दुकान पर बेचा गया । परंतु इस पुष्टाहार को बेचकर जिसके पास सबसे ज्यादा धन पहुंचा था उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई । नहीं तो क्या वजह है कि पंजीरी के दुकानों पर मिलने की घटना की जांच कर रही टीम ने सलोन ,प्रतापगढ़, जगतपुर कि सीडीपीओ को तो निलंबित कर दिया । परंतु उसी दुकान पर जब राही ब्लॉक की पंजीरी मिली तो सीडीपीओ रमाकांति पर मेहरबानी जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा बनी रही तमाम कर्मचारियों का तो साफ कहना है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी ने विभाग में भ्रष्टाचार फैला रखा है और आंगनबाड़ी कर्मियों को सेवा मुक्त करने की धमकियां देकर उनसे जबरन वसूली और अन्य कार्य लिए जा रहे हैं । आंगनबाड़ी कर्मियों का कहना है कि चंद हजार रुपयों की नौकरी में इन अधिकारियों को कहां से रिश्वत दी जाए । लेकिन यदि नौकरी बची रहे और नौकरी को बचाना है तो कहीं ना कहीं गलत करना पड़ता है। जिसकी समस्त जानकारी अधिकारियों को भी होती है परंतु केवल आंगनबाड़ी कर्मी पर ही गाज गिरती है । बताते चलें कि मोबाइल एप्स के प्रयोग को लेकर पहले से भी आंगनबाड़ी कर्मियों में आक्रोश है जिन्होंने साफ कह दिया है कि उन्हें मोबाइल एप्स का प्रयोग करना नहीं आता है। परंतु सीडीपीओ संध्या श्रीवास्तव और जिला कार्यक्रम अधिकारी दबाव में काम करवाना शुरू कर दिया है।