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19/04/2024

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चन्द्रबदन शर्मा की शहादत को दैनिक अमर उजाला ने बताया खुदकुशी,पेपर के विरोध में जनता,कहा शहीद का अपमान कर रहा है अमर उजाला अख़बार

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महराजगंज/उत्तर प्रदेश

ब्यूरो चीफ महराजगंज
भानु प्रताप तिवारी की रिपोर्ट

07/02/2021

महराजगंज – जनपद महरजगंज में कल जम्मू कश्मीर के अखनूर सेक्टर में शहीद हुए चंद्र बदन शर्मा के बारे में अमर उजाला समाचार पत्र में गलत समाचार छापने के खिलाफ शहीद के गांव वालों कर रहे हैं धरना प्रदर्शन । जैसा कि सर्व विदित है कि कल चंद्र बदन ड्यूटी से वापस आते समय दुश्मनों के गोली के शिकार हो गए थे । जिसे सभी समाचार चैनलों और समाचार पत्रों में प्रकाशित भी किया गया । परंतु महाराजगंज के अमर उजाला अंक में इस शहीद के बलिदान की गाथा गाने के बजाए उसे सर्विस राइफल से खुदकुशी करने की बात बताई जा रही है । जिसको लेकर शहीद के गांव और पास पड़ोस के गांव वाले धरना प्रदर्शन करते हुए इस समाचार पत्र के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि देश की रक्षा के लिए शहीद हुए सैनिक की शहादत पर इस तरह की तथाकथित खबरें प्रकाशित करना ना केवल शहीद सैनिक का अपमान है। बल्कि इसे देश के अपमान के साथ भी जोड़ कर देखना चाहिए स्थानीय लोगों ने साफ कहा कि पेपर के स्थानीय रिपोर्टर के साथ साथ इसके कर्ता-धर्ता के ऊपर भी कानूनन सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। जिससे कि भविष्य में कोई भी सैनिकों की शहादत को मजाक ना बना सके
बताते चलें कि महराजगंज निवासी योद्धा जम्मू कश्मीर के चिनाव नदी के किनारे शहीद हो गए।उनके शहादत की खबर शनिवार की सुबह जैसे ही गांव सिसवनियां में पहुंची, घर में कोहराम मच गया है। चंद्रबदन के शहादत पर पिता बोले कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है।परिजनों के मुताबिक रविवार की सुबह तक पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा।
शनिवार की सुबह जैसे ही सिसवनियां गांव में 24 वर्षीय शहीद चंद्रबदन शर्मा के घर शहादत की खबर पहुंची घर पर लोगों का जमावड़ा लग गया।शहीद के परिजनों को लोग ढांढस बधाते रहे। शहीद के घर दोपहर तक जनसैलाब उमड़ आया।शहीद के पिता भोला शर्मा गुजरात में रहकर काम करते हैं।भोला शर्मा को जैसे ही बेटे की शहादत की खबर मिली तो वो बेहोश हो गए।होश में आने के बाद वह घर के लिए रवाना हो गए।

शहीद चंद्रबदन परिवार में सबसे बड़े थेंं।

शहीद चंद्रबंदन परिवार में सबसे बड़े थे। उनका छोटा भाई विमल शर्मा प्रयागराज में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। बहन काजल भी गोरखपुर में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं।चंद्रबदन अपने भाई-बहन की पढ़ाई को लेकर बहुत गंभीर रहते थे और उनसे फोन से पढ़ाई के बारे में जानकारी लेते रहते थे।भाई के शहादत की खबर सुनकर छोटे भाई व बहन अपने ऑखों के ऑसू नही रोक पाएं।

मां का सन,2000 में हुआ था निधन

शहीद चंद्रबदन की मां का निधन सन 2000 में हुआ था। मां के निधन के बाद चंद्रबदन अपने भाई बहन की परवरिश पर बहुत ध्यान देते थे और यही कारण था कि दोनों को कामयाब बनाने के लिए बड़े शहर में परीक्षा की तैयारी करने के लिए भेजा था।

शहीद चंद्रबदन की नहीं हुई थी शादी

परिवार की जिम्मेदारी के कारण चंद्रबदन ने अपनी शादी नहीं की थी।चंद्र बदन का सपना था कि अपने दोनों भाई बहन को कामयाब बनाकर अच्छी नौकरी लगवायेंगे। इसके लिए भाई बहन को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने के लिए भेजा था।

अगले महीने तीन साल पूरे होते नौकरी करते हुए

शहीद चंद्र बदन सेना में सिग्नल कोर में तैनाती मार्च 2018 में हुई थी। मार्च माह में नौकरी करते हुए उन्हें तीन साल पूरा होता। लेकिन इसके पहले ही वह देश के लिए शहीद होकर इतिहास के पन्नों में अमर हो गए। नौकरी में जाने के बाद वह पारिवार की हर छोटी बड़ी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते रहे।

घर आने के पहले आया शहीद होने का संदेश

शहीद चंद्रबदन ने घर आने के लिए छुट्टी ले रखी थी। 10 फरवरी को उनकी छुट्टी एक माह के लिए स्वीकृत हो गई थी।उन्होंने फोन से अपने भाई एवं बहन को छुट्टी की जानकारी भी दे दी थी। लेकिन वह स्वयं नहीं आ सके और अब तिरंगे में लिपटकर आएंगे। उनके घर आने से पहले ही शहीद होने का संदेश आ गया।

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