लॉक डाउन में रायबरेली मधुबन रेलवे क्रासिंग के लोग नही है बातों देवता
1 min readसन्दीप मिश्रा
उत्तर प्रदेश कोरोना महामारी से निपटने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार जिले के आला अधिकारियों को लगातार लॉक डाउन का सख्ती से पालन करवाने के निर्देश दे रही है । लेकिन रायबरेली जनपद में जिस तरह पहले दो पॉजिटिव मरीज फिर 33 पॉजिटिव मरीज और अगले ही दिन आठ अन्य पॉजिटिव करोना मरीजों की संख्या यह साफ बताती है कि कहीं ना कहीं भारी चूक रायबरेली जिला प्रशासन से हुई है । जिसके कारण यह महामारी रायबरेली जनपद में अपना पैर पसार चुकी है। अब यह चूक कहां से हुई यह तो आने वाला समय बताएगा। परंतु केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए लॉक डाउन का पालन करवाने में जिला प्रशासन पूरी तरह से असफल ही रहा है। क्योंकि शहर में ही तमाम ऐसे इलाके हैं जहां पर लॉक डाउन के निर्देशों का खुले तौर पर मजाक उड़ाया जाता है । रायबरेली शहर के जहानाबाद चौकी के अंतर्गत आने वाला सत्यनगर मधुबन रेलवे क्रॉसिंग रोड पर तो लगता ही नहीं है कि देश में किसी भी प्रकार की महामारी फैली हुई है और उससे निपटने के लिए सरकार या कोई भी सरकारी तंत्र अपनी सख्ती दिखा रहा है । क्योंकि इस सड़क पर आवागमन दिन हो या रात लगातार जारी है। दूसरी ओर आवश्यक वस्तु के लिए दुकानदारों को जो पास जारी किए गए हैं वह भी नियमों को ताक पर रखकर बने हुए हैं। एक तरफ पुलिस और जिला प्रशासन लोगों को घरों में रहने के लिए निर्देश दे रहा है । तो दूसरी तरफ मधुबन रेलवे क्रॉसिंग रोड पर ऐसा कोई भी नियम कानून दिखाई नहीं देता है। यहां पर लगातार वाहनों और पैदल चलने वालों का आवागमन बना रहता है। दूसरी तरफ शाम ढलते ही नागरिकों का झुंड सड़कों पर दिखाई देने लगता है जो देर रात तक बना रहता है । सरकार की मंशा है कि किसी भी तरह नागरिकों को घरों में रहने के लिए उन्हें समझाया जाए । लेकिन कुछ ऐसे भी प्रवृत्ति के लोग हैं जो कि इस लॉक डाउन में सड़कों पर घूमना अपनी शान समझते हैं । इन सड़कों पर आवागमन देखकर यह कहीं से भी नहीं लगता है कि सरकार और जिला प्रशासन धारा 144 लगाकर लोगों को झुंड ना बनाने पर सख्त है और ना ही इस इलाके के लोग अपने कर्तव्यों का ही पालन ठीक से कर रहे हैं । क्योंकि सभी जानते हैं कि इस सुरक्षा चक्र में कोई भी एक व्यक्ति छूट गया तो सभी की मेहनत असफल हो जाएगी । एक पूरी जाति धर्म और समुदाय को मिटाने के लिए एक ही व्यक्ति का संक्रमित होना पर्याप्त है । इन सबके बाद भी इस इलाके के लोगों को ना तो अपनी चिंता है और ना ही अपने परिजनों की चिंता है और जिस व्यक्ति को अपने जीवन और अपने परिवार के जीवन का मूल्य नहीं पता है उनके लिए बड़े बुजुर्ग एक ही बात कहते हैं कि जो लातों के देवता होते हैं वह बातों से नहीं मानते हैं । यानी कि अब कहा जा सकता है इन इलाकों में बातों से काम नहीं चलने वाला है बल्कि अब जिला प्रशासन को अपना वास्तविक रूप दिखाना पड़ेगा जिसके लिए रायबरेली और यूपी की पुलिस अभी तक जानी पहचानी जाती रही है । कहा जा सकता है कि अब लोगों को श्मशान का रास्ता दिखाने से बेहतर है कि उन्हें घरों में बैठने को मजबूर किया जाए।