जन सूचना अधिकार के तहत समुचित जानकारी न देने पर तिलोई तहसीलदार हरिमोहन तिवारी पर 25 हजार रुपए का लगा जुर्माना
1 min readसन्दीप मिश्रा
उत्तर प्रदेश । आम नागरिकों के लिए सरकारी कामों की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्हें ब्रह्मास्त्र के तौर पर सौंपा गया सूचना का अधिकार कानून का तिलोई तहसीलदार के सामने बौना नजर आता है। लगातार अवसर दिए जाने के बाद भी जब वादी को समुचित सूचना नहीं मिली तो आयोग ने तिलोई तहसीलदार द्वारा वादी को समुचित जानकारी न देने और आयोग के आदेश का भी अनुपालन ना करने का दोषी माना है । यही नहीं आयोग ने तिलोई तहसीलदार पर ₹25000 का जुर्माना भी लगाया है ।राज्य सूचना आयोग ने अपील संख्या एस 06/1811/ 2017 के मामले में सुनवाई करते हुए उन्हें आर्थिक दंड दिया है। मामला यह है कि अपीलार्थी हरि नरायण मिश्रा ने सूचना का अधिकार के अंतर्गत दिनांक 25 मार्च 2017 को जन सूचना अधिकारी अमेठी से दो बिंदुओं पर सूचना मांगी थी । श्री मिश्र ने दिनांक 13/ 3 /2017 प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील प्रस्तुत की थी। श्री मिश्र ने दिनांक 5 /9/2017 को उत्तर प्रदेश सूचना आयोग में वाद योजित किया। जिसके लिए दिनांक 6/11/2017 को उभय पक्षों को नोटिस जारी की गई थी ।आयोग द्वारा पत्रावली की सुनवाई 3 जनवरी 2018 को नियत की गई थी। आयोग की सुनवाई में प्रतिवादी पक्ष ने बताया था कि वादी को उसके आवेदन पत्र के क्रम में वांछित सूचनाएं उपलब्ध कराई जा चुकी है । उन्होंने इस दौरान सूचनाओं की प्रति आयोग के समक्ष प्रस्तुत की थी । जिसमें वादी ने बताया था कि प्राप्त सूचना पर उसे आपत्ति है और वादी ने अपनी आपत्ति आयोग के समक्ष प्रस्तुत की थी । इस क्रम में आयोग ने इस आशय से प्रतिवादी को वादी की आपत्ति उपलब्ध कराई गई थी कि वह वादी द्वारा की गई आपत्तियों का सम्यक परीक्षण करें। आपत्तियों में औचित्य पाए जाने पर संशोधित सूचनाएं अगले 15 दिन के अंदर उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करें तथा अगली सुनवाई तिथि में संशोधित सूचनाओं के प्रति एवं भेजे जाने के साथ के साथ सूचना अधिकारी आयोग के समक्ष उपस्थित होकर प्रकरण में स्थिति स्पष्ट करें। आयोग की सुनवाई दिनांक 23/5/2018 में वादी हरि नरायण मिश्र ने बताया कि संशोधित सूचनाएं अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई । जबकि पिछली सुनवाई में प्रतिवादी तहसीलदार तिलोई हरिमोहन तिवारी को अवसर दिया गया था कि आज तक ना तो प्रतिवादी उपस्थित है और ना ही उनके द्वारा वादी को कोई संशोधित सूचनाएं उपलब्ध कराई गई । इस क्रम में प्रतिवादी जन सूचना अधिकारी तहसीलदार तिलोई हरिमोहन तिवारी को अवसर देने के बावजूद वादी को संशोधित सूचनाएं उपलब्ध कराने तथा आयोग के आदेश की अवहेलना करने का दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध जन सूचना अधिकार के तहत ₹15000 अर्थदंड आरोपित किया गया था । तिलोई तहसीलदार को न्याय हित में अंतिम अवसर के साथ वादी की आपत्तियां इस आशय से संलग्न करके नोटिस भेजी जाए कि वह वादी द्वारा की गई आपत्तियों का सम्यक परीक्षण करें । आपत्तियों में औचित्य पाए जाने पर संशोधित सूचनाएं अगले 15 दिन के अंदर उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करें तथा अगली सुनवाई तिथि में संशोधित सूचनाओं की प्रति एवं जाने के साक्ष्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें । साथ ही साथ इस संबंध में लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें कि जब आयोग की सुनवाई में दिनांक 3 जनवरी 2018 में उनकी ओर से उपस्थित नायब तहसीलदार बालकृष्ण को वादी की आपत्तियां उपलब्ध कराई गई थी तो वादी की आपत्तियों का समय निराकरण क्यों नहीं किया गया । साथ ही साथ यह भी का भी आदेशित किया गया था कि यदि उपरोक्त आदेश का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जाता है तो प्रतिवादी जन सूचना अधिकारी हरिमोहन तिवारी पर आरोपित अर्थदंड को यथावत रखते हुए दंड वसूली के आदेश के साथ-साथ सूचना का अधिकार 2005 की धारा 20 (2) के तहत विभागीय कार्रवाई के लिए विभागाध्यक्ष से भी संस्तुति की जा सकती है । पत्रावली का पालन करने पर पाया गया कि आयोग की सुनवाई 31-10-2018 में उपस्थित प्रतिवादी ने आयोग के समक्ष अनुरोध किया था कि उसे आपत्तियों के निराकरण के लिए एक अवसर प्रदान किया जाए जिस क्रम में प्रतिवादी पक्ष को अपीलार्थी की आपत्तियों की प्रति उपलब्ध कराते हुए आदेशित किया गया था कि वह वादी की आपत्तियों का सम्यक परीक्षण करे । आपत्तियों में औचित्य पाये जाने पर सूचनाएं अगले 15 दिन के अंदर उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें एवं भेजे जाने का आदेश दिया गया था । तिलोई तहसीलदार हरिमोहन तिवारी अर्थ दंड पर अगली सुनवाई तिथि पर फैसला लिया जाएगा । जिस पर अगली सुनवाई 15 मार्च 2019 में उपस्थित वादी ने बताया कि उसकी आपत्तियों का निराकरण अभी तक नहीं किया गया है । जिस पर आयोग ने प्रतिवादी जन सूचना अधिकारी तहसीलदार तिलोई हरिमोहन तिवारी को अवसर देने के बावजूद वादी की आपत्तियों का निराकरण न करने एवं आयोग के पूर्व आदेशों की अवहेलना का दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत सूचना देने में लापरवाही बरतने पर 15 हजार के अर्थदंड को बढ़ाकर 25 हजार कर दिया। साथ ही साथ अर्थदंड की वसूली के आदेश के साथ सूचना आयोग ने रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश सूचना आयोग को भी निर्देशित किया है कि तहसीलदार तिलोई हरिमोहन तिवारी के वेतन से अधिरोपित अर्थदंड की वसूली कराई जाए।