सिविल सर्विस छोड़ आजादी की क्रान्ति से जुड़े सुभाष चन्द्र बोस : संजय पासी
1 min readसन्दीप मिश्रा
रायबरेली । ओ. पी. यादव यूथ ब्रिगेड के तत्वाधान में आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती क्रानित दिवस के रूप में मनायी गयी। इस अवसर पर अध्यक्ष संजय पासी ने कहा कि नेता जी ने इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की ।अंग्रेजी शासनकाल में जब भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था। उस समय उन्होनें सिविल सर्विस की परीक्षा में चैथा स्थान प्राप्त किया, लेकिन 1921 में देश की बढ़ती राजनैतिक गतिविधियों को दृष्टिगत रखते हुए वे आजादी की क्रान्ति में कूद पड़े और भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस से जुड़ गये।
सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओ.पी. यादव ने कहा कि नेता जी का नारा था, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा। काश नेता जी को मालूम होता है कि देश की आजादी के 73 वर्ष बाद भी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर धारा-144 का पहरा होगा तो शायद वे इस प्रकार का नारा न देते।
संत गाडगे सेवक कमलेश चैधरी ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस व महात्मा गाँधी के विचार भिन्न-भिन्न थे, लेकिन दोनों नेताओं का मकसद एक था, देश की आजादी। वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्व प्रधान अशोक मिश्रा ने कहा कि नेता जी ने 21 अक्टूबर 1943 को ‘आजाद हिन्द फौज’ का गठन किया। ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए नेता जी ने बहुत संघर्ष किया। क्रय-विक्रय समिति के अध्यक्ष रवि सिंह चैधरी ने कहा कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार में हुआ। 18 अगस्त 1945 को टोक्यो (जापान) जाते समय ताइवान के पास नेता जी का एक हवाई दुर्घटना में निधन हुआ बताया जाता है, लेकिन उनका शव नहीं मिल पाया। नेता जी की मौत के बारे में आज भी विवाद बना हुआ है।
इस अवसर पर मिथिलेश ओझा, लवेन्द्र बाजपेयी, धर्मेन्द्र बाजपेयी, देशराज पासी, सौरभ यादव, विक्रम पटेल, आजाद गौड़, रामबरन, हरिकेश, हनुमान प्रसाद वर्मा, हनुमान निषाद, विनोद कुमार, राम सुमिरन आदि लोगों ने नेता जी चित्र पर माल्र्यापण कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।