रायबरेली कांग्रेसियों का संघर्ष, नतीजा एक भी योजनाएं श्रीमती गांधी की नहीं हुई संचालित
1 min readसन्दीप मिश्रा
रायबरेली कांग्रेस के गढ़ में आज उसे अपने वर्चस्व के लिए जो संघर्ष करना पड़ रहा है उसका सबसे बड़ा कारण खुद रायबरेली की जिला कांग्रेस कमेटी ही नजर आती है । क्योंकि कहा जाए तो आजादी के बाद से ही कुछ अपवाद छोड़ दिया जाए तो रायबरेली जिले पर कांग्रेसी ने ही राज किया और आज कांग्रेस के गढ़ में अन्य राजनीतिक दल अपनी मजबूत पैठ बना चुके हैं। खुद कांग्रेस के तमाम धुरंधर अन्य दलों की शोभा बढ़ा रहे हैं और अब जो कांग्रेस में उठापटक चल रही है । उसको देखकर निष्ठावान कांग्रेसी यही कहते हैं कि बहुत दिनों बाद कांग्रेसका सक्रिय जिलाध्यक्ष मिला है लेकिन पुराने कांग्रेसी जो अभी तक निरंकुश होकर जिले में अपनी अलग सत्ता चला रहे थे उन्हें अनुशासन में रहना पसंद नहीं आ रहा है। यही कारण है कि कमेटी में पद पाने के लिए पूर्व पदाधिकारी और कार्यकर्ता एक दूसरे की टांग खींचने में जुटे हुए हैं । अब तो हाल यह हो गया है कि जिलाध्यक्ष की सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस पार्टी कार्यालय तिलक भवन से जनता को बताने के लिए सूचनाएं भी नहीं मीडिया को दी जाती हैं । यही कारण है कि तमाम कार्यक्रम कांग्रेस बंद कमरों में करके निपटा दे रही है और इसका सबसे बड़ा कारण है कि कुछ कांग्रेसी अपनी राजनीतिक गोटियां सेक रहे है।बनहीं तो क्या कारण है कि नगर पालिका अध्यक्ष कांग्रेस का होने के बाद भी नगर में सीवर लाइन सड़कें और गंदगी का साम्राज्य स्थापित होता जा रहा है । आखिर क्या कारण है कि रायबरेली सांसद और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट रेल कोच कारखाने पर ग्रहण के बादल मंडरा रहे हैं । इस पर कांग्रेसी नेता कहते हैं कि वह रेल कोच कर्मचारियों के साथ हैं । परंतु इस मामले में जब रेल कोच कर्मचारियों से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेसी यहां केवल अपनी राजनीति रोटी सेकने आते हैं नहीं तो क्यों नहीं हम लोग के साथ दिन रात संघर्ष में साथ देते हैं । ठंड के मौसम में रेल कोच कर्मी परिवार सहित अपना प्रदर्शन कर रहे हैं । यहां तक कि एक डेलीगेट दिल्ली भी जा चुका है परंतु कांग्रेसी अपने एसी रूम एसी भवन एसी गाड़ी से बाहर निकलने में भी संकोच करते हैं । बेहतर स्वास्थ सुविधा देने का वादा खुद श्रीमती गांधी ने जाए जनता वासियों से किया था जिसके लिए उन्होंने एम्स और महिला ट्रामा सेंटर जैसी व्यवस्थाओं से युक्त अस्पताल जनपद वासियों को दिया । परंतु एम्स अस्पताल आज अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है और इसके लिए भी कांग्रेसी कहते हैं कि हमने संघर्ष किया है परंतु उनके संघर्ष का नतीजा है कि आज 10 साल की यूपीए सरकार और 7 साल की भाजपा सरकार में उसका संचालन सुचारू रूप से नहीं हो सका। यही नहीं पूरे शहर में सीवर पाइप लाइन डालने की व्यवस्था की गई थी । जिसका पैसा भी यूपीए वन और टू कार्यकाल में जिले में भेजा गया। परंतु आज भी सीवर लाइन उसी हालात पर हैं । यदा-कदा काम शुरू किया गया परंतु उस काम को वहीं पर रोक कर आम जनता को आश्वासन दे दिया गया और इस पर भी कांग्रेसी कहते हैं कि उन्होंने संघर्ष किया । परंतु सीवर लाइन नहीं दुरुस्त करा पाए। आखिरकार किस काम का यह संघर्ष कांग्रेसियों का है जो संघर्ष ना तो जनता को दिखाई देता है और ना ही उस पर कोई अमल हो पाता है। इसका नतीजा है कि कांग्रेसी नेता एसी रूम एसी गाड़ी एसी भवन से बाहर निकलना नहीं चाहते हैं । जबकि रायबरेली में जनता आज भी सांसद सोनिया गांधी के विकास कार्यों के सुचारू होने का इंतजार कर रही है।