बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे (भाग 4) देखिए संजीवनी अस्पताल के संचालक की कूटनीति, कैसे भागे एमबीबीएस ए०एम० के सहयोगी
1 min readजनपद महराजगंज/निचलौल
ब्यूरो कार्यालय की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश । बोल कि लब आज़ाद हैं शीर्षक के भाग 3 तक में अभी तक चैनल ने सबूतों के साथ यह दिखाया कि किस तरह संजीवनी अस्पताल निचलौल के डॉक्टर के पास एम बी बी एस ए एम और बीएएमएस सीसी एच की डिग्री है। वही इस मामले में डिप्टी सीएमओ,नोडल चिकित्सा अधिकारी तक की प्रतिक्रिया अपने दर्शकों तक पहुंचाई और साथ ही साथ यह भी बताने का प्रयास किया कि संजीवनी अस्पताल के संचालक और उनकी टीम द्वारा चैनल के रिपोर्टरों के पास देख लेने और समझ लेने जैसे शब्दों का उच्चारण करते हुए धमकियां दी जा रही हैं । तो वही चैनल ने फिल्मी धमकियों को कूड़े में डाल दिया है । क्योंकि उसके पास संजीवनी अस्पताल की एक से बढ़कर एक करतूतों का पूरा पुलिंदा है जो अस्पताल और अस्पताल संचालक की कारगुजारियों को उजागर करने के लिए पर्याप्त है । बताते हैं कि इस अस्पताल के निर्माण से लेकर रजिस्ट्रेशन तक में बृहस्पति पटेल के साथ दो अन्य सहयोगी भी थे और आश्चर्यजनक रूप से अस्पताल के निर्माण के बाद ही उन लोगों ने अस्पताल और अस्पताल की मिल्कियत से त्यागपत्र दे दिया था । अपने अगले भाग में चैनल उन चिकित्सकों के द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दिए गए शपथ पत्र और अस्पताल का पंजीकरण रद्द किए जाने का साक्ष्य प्रस्तुत करेगा। लेकिन इन तमाम साक्ष्यों के बाद जो कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग को करनी चाहिए। वह अभी तक नहीं संभव हो पा रही है जबकि अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को रद्द किए जाने की खुद अस्पताल के चिकित्सक रह चुके लोगों ने शपथ पत्र देकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कहा था । इन सबके बाद भी अस्पताल सुचारु रुप से चल रहा है और स्वास्थ्य विभाग कार्यवाही के नाम पर चुप्पी साधे बैठा हुआ है । लेकिन स्वास्थ्य विभाग कुम्भकर्णी की नींद को तोड़ने के लिए लगातार चैनल अपने सबूतों के साथ दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत हो रहा है । यह जानते हुए भी कि कभी भी उसके रिपोर्टरों के साथ कोई घटना घटित हो सकती है।