व्यापम घोटाले में लिप्त डॉ वीरेन्द्र मौर्य ने इलाज के नाम से मरीजो से मचा रखी है लूट,भोपाल पुलिस भेज चुकी है जेल
1 min readसन्दीप मिश्र
ब्यूरो
उत्तर प्रदेश। प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार कैसे हो पाएगा जब व्यापम जैसे घोटाले में लिप्त चिकित्सक अस्पताल में मनमाने ढंग से लूट का साम्राज्य बना लेंगे। क्योंकि उन्होंने व्यापम जैसे घोटाले की आग को ठंडे बर्फ की माफिक सह रखी है। तो अस्पताल में मरीजो की मनमाने ढंग से आर्थिक लूट करना कोई बड़ी बात के लिए नहीं है । हम बात कर रहे हैं रायबरेली जिले के जटुआ टप्पा में तैनात चिकित्सक डॉ वीरेन्द्र मौर्या की जिन्होंने अस्पताल में बाहर की दवाएं, बाहर की जांच और खुद बाहर बैठकर अपनी निजी फीस से इलाज कर सरकार की तमाम योजनाओं को जूते की नोक पर रख दिया है। मरीज इलाज के नाम पर लुट रहा है और डॉ0 मौर्य अपने बैंक का बैलेंस बड़ा रहे हैं। और हो भी क्यों ना क्योंकि व्यापम जैसे घोटाले में पाक साफ होने के लिए रकम भी तो खर्च करनी पड़ रही है। बताते चलें कि बाराबंकी के हैदरगढ़ से एक सरकारी डॉक्टर वीरेन्द्र मौर्या को सीबीआई उठा ले गई थी । बताया गया कि डॉ0 मौर्या को मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई उसे लेकर भोपाल गई है। डॉ. वीरेन्द्र मौर्या की तैनाती रायबरेली जिले
के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जटुवा टप्पा में थी। डॉ. वीरेन्द्र पर आरोप है कि उन्होंने मध्यप्रदेश में एमबीबीएस की एक सीट पर अवैध कब्जा किया और फिर उसे पैसे लेकर छोड़ दिया। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल के माध्यम से कराई गई थी ।एमपीपीएमटी 2012 की परीक्षा में धांधली से जुड़े एक मामले में सीबीआई ने 23 नवंबर 2017 को डॉ. मौर्या के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की थी। इसका संज्ञान लेते हुए व्यापम मामलों की सुनवाई कर रही भोपाल की स्पेशल कोर्ट के जज की ओर से डॉ. मौर्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। वीरेंद्र मौर्य एमबीबीएस छात्र रहते परीक्षा दी थी। जबकि वीरेन्द्र मौर्या ने वर्ष 2012 में राजकीय मेडिकल कॉलेज कानपुर में एमबीबीएस का छात्र थे और उसके बाद भी व्यापमं की
एमपीपीएमटी-2012 की परीक्षा में हिस्सा लिया। जबकि एमबीबीएस में उसका प्रवेश वर्ष 2008 में ही हो गया था। मध्य प्रदेश के किसी निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने की जरूरत न होते हुए भी उसने षड्यंत्र के तहत एक छात्र को परीक्षा में मदद पहुंचाने के लिए यह परीक्षा दी थी। मौर्या ने परीक्षा उत्तीर्ण कर भोपाल के एक निजी मेडिकल कॉलेज में अपने लिए एक सीट आरक्षित करा ली। बाद में उसने यह सीट छोड़ दी । भोपाल में व्यापमं की पीएमटी परीक्षा 2012 में हुए घोटाला मामले में फरार आरोपी वीरेन्द्र मौर्य को गिरफ्तार कर भोपाल पुलिस ने विशेष न्यायाधीश डीपी मिश्रा की अदालत में पेश किया। कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया था। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक सतीश दिनकर ने अदालत को बताया है कि आरोपी पीएमटी 2012 मामले में चालान पेश होने के बाद से फरार था। सीबीआई के उपनिरीक्षक एमके पांडे ने आरोपी को उत्तरप्रदेश के बाराबंकी क्षेत्र से गिरफ्तार किया है।इतनी कुटिल मानसिकता वाले चिकित्सक आज भी उसी जगह पर उसी सीट पर अपनी डॉक्टरी कर रहे है इसी से आप मरीजो के हालातों का अंदाजा लगा सकते है। इन सबके बाद भी सरकार यदि भृष्ट अधिकारियों का सर्व करा रही है तो एक बार फिर सरकार की मंशा पर सवाल उठ सकते है । जब उसकी ही आस्तीन में ही सांप खुसा है।