धनंजय पांडेय की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश कुशीनगर पहिली बारिश का असर इतना बड़ा रहा कि, किसानों को याद आया सन् १९९८ का बाढ़ । किसान को डर सता रहा है कि कहीं १९९८ के तरह घरों में ना घुस जाये पानी । फसल तो बर्बाद हो ही गया है , कहीं घर ना हो जाए बाढ़ ग्रस्त । एक सप्ताह पहले नहर में जलापूर्ति नहीं होने के कारण किसानों ने कई हजार रुपए के डीजल फूंक कर खेतों की रुपाई कराया । प्रकृति के कहर ने किसानों की मेहनत, खाद, धान रोपण पर पानी फेर दिया ।एक बार फिर किसान बेहाल, बेचार, लाचार होकर कर अपनी बदकिस्मत जीवन जीने पर मजबूर हो गये है । किसानों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने नहर, ड्रेन, तालाबों की साफ-सफाई की होती तो , पहले ही बारिश में यह नौबत ना आती । पहले लगातार बारिश होती थी तो इतना बाढ़ नहीं आती जितना ,२४ घंटे के पानी से बाढ़ आ जा रही है । प्रशासन को हम मजबूर किसान कैसे दिखायें कुछ भी समझ में नहीं आता ।

हिम्मत सच दिखाने का