रायबरेली जिले में एंबुलेंस चालकों को नहीं मिल रहा मानक के अनुरूप किराया
1 min readसन्दीप मिश्रा
रायबरेली। आज हमारा देश करोना का दंश झेल रहा है जिसमें हमारे देश में तमाम प्राइवेट संस्थाएं एनजीओ आगे आकर बढ़-चढ़कर करोना से लड़ने में अपना अहम योगदान दे रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ रायबरेली के प्राइवेट एंबुलेंस चालक इस आपदा में भी अवसर खोज रहे हैं । बताते चलें कि जिला चिकित्सालय के बाहर एंबुलेंसो की एक लंबी कतार खड़ी रहती है । परंतु उन एंबुलेंस का ना तो यह पता चलता है कि वह किस अस्पताल की एंबुलेंस है और उनका परमिट कहां से मिला हुआ है । क्योंकि ना तो उस एंबुलेंस में स्वास्थ्य विशेषज्ञ के नाम पर वार्ड बॉय तक की जानकारी रखने वाला नहीं मिलता है । लेकिन इस महामारी में इन एंबुलेंस चालकों ने भी अपना भरपूर सहयोग मरीजों को दिया परंतु इस सहयोग में कहीं भी उन्होंने अवसर को खोने नहीं दिया। छोटी-छोटी दूरियों के मोटे मोटे किराया वसूल लिये। जिस पर जिला प्रशासन द्वारा एंबुलेंस किराया निश्चित कर दिया है जिला प्रशासन द्वारा किराए का हिसाब निकाला जाए तो लगभग ₹2000 लखनऊ तक जाने का लगता है । जो कि चालकों को कम लग रहा है। इसी को लेकर प्राइवेट एंबुलेंस चालकों में निराशा एवं मायूसी छाई हुई है । उनका कहना है की वे भी करोना काल में प्रशासन एवं लोगों की मदद करना चाहते हैं, जनता एवं प्रशासन के साथ हैं लेकिन प्रशासन के इस सौतेले व्यवहार से वह कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है जहां दूसरे शहरों में ₹100 की दर से किराया लागू है तो वहीं रायबरेली में एंबुलेंस चालकों को ₹20 की दर सुनिश्चित की गई है । दूसरी तरफ उनका कहना है कि हमें ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए एवं ऑक्सीजन व्यय का हिसाब लिया जाए और उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि हम प्राइवेट एंबुलेंस चालक मरीजों के साथ किसी भी तरह का शोषण एवं उत्पीड़न नहीं करेंगे जिस पर मौके पर एंबुलेंस चालकों में शोभित श्रीवास्तव, गुड्डू खान, मुन्ना, शराफत अली खान, आशीष एवं अन्य लोग भी मौजूद रहे अतः देखना यह है कि इस भीषण संकट के दौर में प्रशासनिक अधिकारियों की मानवता जागृत होती है या फिर +बेताल अपनी डाल पर+ कहावत सही होगी/