कुर्की वारंट क्या है ? कुर्की के आदेश कब और क्यों दिए जाते हैं |
1 min readन्यायालय को यदि किसी कारणवश यह विश्वास है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी किया गया है, वह खुद को छुपा रहा है । और इस कारण वारंट का निष्पादन उसके खिलाफ नहीं किया जा सकता । तो धारा 82 Cr.P.C.के तहत ऐसे व्यक्ति को फरार माना जाता है । फरार व्यक्ति के संबंध में न्यायालय लिखित घोषणा को व्यक्ति के नाम पर प्रकाशित करवा सकता है । प्रकाशित घोषणा में उस व्यक्ति से यह अपेक्षा होगी कि वह घोषणा में दिए गए स्थान व समय पर उपस्थित हो जाएं ।
उपस्थिति के समय के आधार पर कम से कम 30 दिन पहले घोषणा का प्रकाशन किया जाएगा घोषणा निम्नलिखित रूप से प्रकाशित की जाएगी ।
घोषणा को उस स्थान पर जहां फरार व्यक्ति सामान्य तौर पर निवास करता है , और शहर या गांव में सहज सुलभ स्थान पर घोषणा को सार्वजनिक रूप से पढ़ा जा सके ।
उस ग्रह या निवास स्थान पर जहां फरार व्यक्ति सामान्य तौर पर निवास करता है । उसके आसानी से नजर आने वाले भाग पर लगा दी जाएगी ।
घोषणा की एक प्रति न्यायालय के स्थान पर लगाई जाएगी जहां वह आसानी से नजर आए व पढ़ी जाए ।
न्यायालय आवश्यक समझे तो उस गांव या शहर के दैनिक समाचार पत्र में भी घोषणा प्रकाशित करवा सकती है । जहां पर वह व्यक्ति सामान्य तौर पर निवास करता है ।
उद्घोषणा जारी करने वाला न्यायालय निश्चित करेगा की वैधानिक ढंग से उस घोषणा का प्रकाशन कर दिया गया है और इस क्रम में कानूनी अपेक्षाएं पूर्ण कर दी गई है ।
कुर्की के आदेश कब दिये जायेगे
Cr.P.C. की धारा 83 के अधीन यदि न्यायालय उचित समझे तो फरार व्यक्ति की संपत्ति की कुर्की की जा सकती है । यदि फरार व्यक्ति के संबंध में उद्घोषणा निकाली गई है और यह निम्न कृत्य कर रहा है
अपनी संपत्ति या उसके किसी भाग को बेचने वाला है ।
अपनी समस्त संपत्ति या उसके किसी भाग को न्यायालय की स्थानीय अधिकारिता के स्थान से हटा देना चाहता है ।
कुर्की के आदेश का निष्पादन कैसे जाता हैं
कुर्की का आदेश होने के पश्चात उस व्यक्ति के स्थानीय जिले की संपत्ति को कुर्की के लिए प्राधिकृत किया जाएगा । यदि उस व्यक्ति की संपत्ति अन्य किसी जिले में भी है तो वहां के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा तब कुर्की को प्राधिकृत करेगा, जब घोषणा की पृष्ठांकित कर दिया जाएगा । यदि वह संपत्ति जिसे कुर्क करने के आदेश है ।
यदि फरार अभियुक्त हाजिर हो जाता है तो कुर्की होगी या नहीं
यदि संपत्ति का कुछ भाग विक्रय किया गया है तो विक्रय से प्राप्त शुद्ध धन में से कुर्की के खर्चे काटकर शेषफल और बची हुई संपत्ति वापस कर दी जाएगी ।
Cr.P.C. धारा 86 कुर्क संपत्ति की वापसी के लिए आवेदन नामंजूर करने वाले आदेश के संबंध में अपील है फरार व्यक्ति को यदि संपत्ति या संपत्ति के विक्रय से आया धन पुनः प्रदान नहीं करने के आदेश होते हैं । तो वह व्यक्ति उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है । जिसके प्रथम रूप से उल्लेख किए गए न्यायालय के दंडादेशों से संबंध रखती अपीले की जा सकती है ।
सी पी सी की धारा 60 के अनुसार जिन वस्तुओं की कुर्की न्यायालय की डिग्री के निष्पादन स्वरूप की जा सकती है वह संपत्तियां है :- जमीन, मकान, माल, मुद्रा धन चेक, लेन देन के कानूनी प्रपत्र, वचन पत्र, सरकारी जमाये, बंधकपत्र, शेयर्स और बेचने लायक चल या अचल संपत्ति कार्य ।
लेकिन सीपीसी की धारा 60 यह बताती है कि कुछ संपत्तियों को कुर्क नहीं किया जा सकता ।
1. जल, बच्चों के कपड़े, ओढ़ने बिछाने के कपड़े, बर्तन, स्त्री के आभूषण जो प्रथा के अनुसार स्त्री के शरीर से अलग नहीं किए जा सकते और चारपाई ।
2. शिल्पकार, लकड़ी का कारीगर और सोने की कारीगरी करने वाले व्यक्तियों के औजार उपकरण आदि को कुर्क नहीं किया जा सकता ।
3. पालन पोषण और भविष्य के अधिकार की कुर्की नहीं की जा सकती ।
4. सेना अधिनियम जहां लागू हो वहां व्यक्ति के वेतन के कुर्ती भी नहीं की जा सकती ।
5. भरण पोषण की डिक्री हो तो उसका एक तिहाई भाग ही प्रयोग किया जाएगा ।
6. मुकदमा कायम करने के अधिकार को भी कुर्क नहीं किया जा सकता ।
7. व्यक्ति का सेवा करने का अधिकार भी कुर्क नहीं किया जा सकता ।
8. व्यक्ति की पेंशन को भी कुर्की से मुक्त रखा गया है ।
9. भविष्य निधि खाते में जमा धन लोक भविष्य निधि खाते में धन और जीवन बीमा पॉलिसी में जमा पैसे को भी कुर्क नहीं किया जा सकता ।
10. जो भूमि राज्य सरकार को राजस्व देती है उसे भी पूर्ण नहीं किया जाता ।
11. बही खाते को भी कुर्क नहीं किए जाने का प्रावधान है ।
12. श्रमिक और सेवकों की मजदूरी और पारिश्रमिक और देय वस्तुओं को भी कुर्क नहीं किया जा सकता ।
13. कृषि की आजीविका के संबंध रखने वाली चीजों को भी कुर्क से अलग रखा गया है ।
14. सरकारी कर्मचारियों को भत्ते के स्वरुप में जो देय होता है उसे कोर्ट नहीं किया जाता नौकर चाकर के रहने की जमीन और घर को भी कुर्क नहीं किया जा सकता उन सभी प्रकरणों को भी कुर्की से मुक्त रखा गया है जिनका उल्लेख सीपीसी की धारा 60 में किया गया है |