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19/04/2024

DakTimesNews

Sach Ka Saathi

पं०दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद के प्रेणता- देवेंद्र प्रताप सिंह

1 min read

अंतोदय साम्यवाद त्याग और तपस्या मूर्ति थे – अशोक कुमार

कुशीनगर (ब्यूरो हेड)कुशीनगर में आज 25 सितम्बर 2020 को क्षेत्र पंचायत सुकरौली के ग्राम पंचायत पैकौली लाला भाजपा कार्यकर्त्ताओ ने बड़े ही उत्साह के साथ पं० दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म दिवस मनाया गया।उक्त कार्यक्रम के प्रभारी/मुख्यअतिथि के रूप में भाजपा के बरिष्ठ नेता ग्रामीण पत्रकार एसोसियेशन हाटा तहसील के अध्यक्ष सुकरौली के पूर्व ग्राम प्रधान अशोक कुमार ने पं०दीनदयाल उपाध्याय जी,के चित्र पर मात्यापर्ण कर एबं दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।उक्त अवसर पर उपस्थित लोगो को सम्बोधित करते हुए पं०दीनदयाल जी के जीवन एवं जन्म दिवस पर विस्तृत रुप से प्रकाश डालते हुंए कहा की पंडित दीनदयाल जी का जन्म 25 सितम्बर,1916, एवं बलिदान 11फरवरी 1968 को हुआ है । जिसे प्रति वर्ष भाजपा द्वारा प्रतिवर्ष 25 सितंबर को जन्म दिवस को अंतोदय दिवस के रुप मे मनाया जाता है।उन्होने कहा कि पं० दीनदयाल जी एकात्म मानवताबाद के पुजारी के साथ त्याग एवं तपस्या के प्रतिमूर्ति भी है।जिनके विचारो का अनुसरण करना ही उनके प्रति सच्ची कृतज्ञता होगा अशोक कुमार ने कहा कि पण्डित जी का जन्म 25 सितम्बर 1916 को उत्तर प्रदेश की पवित्र ब्रजभूमि में मथुरा के नगला चंद्रभान नामक गाँव में हुआ था | बचपन में एक ज्योतिषी ने इनकी जन्मकुंडली देख कर भविष्यवाणी की थी कि आगे चलकर यह बालक एक महान विद्वान एवं विचारक बनेगा,एक अग्रणी राजनेता और निस्वार्थ सेवाव्रती होगा मगर ये विवाह नहीं करेगें | अपने बचपन में ही दीनदयालजी को एक गहरा आघात सहना पड़ा जब सन 1934 में बीमारी के कारण उनके भाई की असामयिक मृत्यु हो गयी|उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा राजस्थान के सीकर में प्राप्त की |विद्याध्ययन में उत्कृष्ट होने के कारण सीकर के तत्कालीन नरेश ने बालक दीनदयाल जी, को एक स्वर्ण पदक,किताबों के लिए 250 रुपये और दस रुपये की मासिक छात्रवृत्ति से पुरुस्कृत किया |
मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता आजमगढ़ जिले के भाजपा के पूर्व जिला विस्तारक देवेंद्र प्रताप सिंह ने अपने संबोधन में कहां की पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा पिलानी में विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की |तत्पश्चात वो बी.ए. की शिक्षा कानपुर मे सनातन धर्मं कॉलेज में |अपने एक मित्र श्री बलवंत महाशब्दे की प्रेरणा से सन 1937 में वो राष्ट्रीय स्वयंसेवकसंघ में सम्मिलित हो गए उसी वर्ष उन्होंने बी.ए. की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की इसके बाद ऍम.ए. की पढ़ाई के लिए वो आगरा आ गए |
आगरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सेवा के दौरान उनका परिचय श्री नानाजी देशमुख और श्री भाउ जुगडे से हो गयी। बहन सुश्री रमादेवी बीमार पड़ गयीं और अपने इलाज के लिए आगरा आने वाद दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु हो गयी जो इनके जीवन का यह दूसरा बड़ा आघात लगने के कारण एमए की परीक्षा नहीं दे पाने से छात्रवृत्ति भी समाप्त हो गयी |
दीनदयाल जी परीक्षा में हमेशा प्रथम स्‍थान पर आते थे उन्‍हेंने मैट्रिक और इण्टरमीडिएट-दोनों ही परीक्षाओं में गोल्ड मैडल प्राप्‍त किया था। इन परीक्षाओं को पास करने के बाद वे आगे की पढाई करने के लिए एसडी कॉलेज कानपुर में प्रवेश लिया वहॉ उनकी मुलाकात श्री सुन्दरसिंह भण्डारी, बलवंत महासिंघे जैसे कई लोगों से हुआ इन लोंगों से मुलाकात होने के बाद दीनदयाल जी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रमों में रुचि लेने लगे दीनदयाल जी ने वर्ष 1939 में प्रथम श्रेणी में बीए की परीक्षा पास करने के बाद
जनसंघ के साथ जुड़ गये।
भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा वर्ष 1951 में किया गया एवं जिन्हें प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया वे लगातार दिसंबर 1967 तक जनसंघ के महासचिव बने रहे उनकी कार्यक्षमता खुफिया गतिविधियों और परिपूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनके लिए गर्व से सम्मानपूर्वक कहते थे कि- ‘यदि मेरे पास दो दीनदयाल होतें तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा ही बदल देता परंतु अचानक वर्ष 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन से पूरे संगठन की जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय जी के युवा कंधों पर आ गयी। इस प्रकार उन्होंने लगभग 15 वर्षों तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा के दौरान भारतीय जनसंघ के 14वें वार्षिक अधिवेशन में दिसंबर 1967 में कालीकट में जनसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया
एक लेखक के रूप में
समारोह को सम्बोधित करते हुए भाजपा के युवा नेता अनु तिवारी ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के अन्दर की पत्रकारिता तब प्रकट हुई जब उन्होंने लखनऊ से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ‘राष्ट्रधर्म’ में वर्ष 1940 के दशक में कार्य करते हुए आरएसएस के कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक साप्ताहिक समाचार पत्र ‘पांचजन्य’ दैनिक समाचार पत्र ‘स्वदेश’ शुरू किया था उन्होंने नाटक ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ और हिन्दी में शंकराचार्य की जीवनी लिखी उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार की जीवनी का मराठी से हिंदी में अनुवाद किया उनकी अन्य प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों में ‘सम्राट चंद्रगुप्त’ ‘जगतगुरू शंकराचार्य’ ‘अखंड भारत क्यों हैं’ ‘राष्ट्र जीवन की समस्याएं’ ‘राष्ट्र चिंतन’ और ‘राष्ट्र जीवन की दिशा’ आदि हैं
उपाध्यायजी की कृतियाँ :
उन्होने कहा कि जनसंघ के राष्ट्रजीवन दर्शन के निर्माता दीनदयाल जी का उद्देश्य स्वतंत्रता की पुर्नरचना के प्रयासों के लिए विशुद्ध भारतीय तत्व-दृष्टी प्रदान करना था उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद प्रगतिशील विचारधारा । दीनदयाल जी को जनसंघ के आर्थिक नीति के रचनाकार कहा जाता है। आर्थिक विकास का उनका मुख्य उद्देश्य समान्य मानव का सुख है या उनका विचार था।
विचार –स्वातंत्रय के इस युग में मानव कल्याण के लिए अनेक विचारधारा को पनपने का अवसर मिला है। इसमें साम्यवाद पूंजीवाद अन्त्योदय सर्वोदय आदि मुख्य हैं। किन्तु चराचर जगत को सन्तुलित स्वस्थ व सुंदर बनाकर मनुष्य मात्र पूर्णता की ओर ले जा सकने वाला एकमात्र पराक्रम सनातन धर्म द्वारा प्रतिपादित जीवन – विज्ञान जीवन –कला व जीवन–दर्शन है उक्त अवसर पर भाजपा मंडल मंत्री गुड्डू प्रजापति छोटे लाल गुप्ता सेक्टर प्रमुख सनोज विश्वकर्मा हिंदू युवा वाहिनी के ब्लॉक अध्यक्ष सुरेश गुप्ता अध्यक्ष बृजेश कुमार मद्धेशिया जय श्री राम सेक्टर प्रभारी किशन गुप्ता राजेंद्र कुमार दिग्विजय गौतम अंबुज यादव अनिकेत मिश्रा मंडल उपाध्यक्ष त्रिभुवन मिश्रा जयनाथ चौरसिया आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे!

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