लालगंज पुलिस कस्टडी में युवक की मौत के मामले में थानाध्यक्ष निलंबित, जांच शुरू
1 min readरिपोर्ट-सन्दीप मिश्रा
रायबरेली। लालगंज पुलिस कस्टडी में चोरी के आरोपी युवक की मौत के मामले में थानाध्यक्ष लालगंज को निलंबित कर दिया गया है और मामले की पूरी जांच अपर पुलिस अधीक्षक को सौंप दी गई है। इस घटना में प्रथम दृष्टया में लापरवाही आने के चलते पुलिस अधीक्षक ने लापरवाही बरतने के आरोप में थानाध्यक्ष हरिशंकर प्रजापति को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। फिलहाल अन्य दो दरोगाओं के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच जारी है। पूरे प्रकरण में जिलाधिकारी ने यह माना है कि पुलिस द्वारा बड़ी लापरवाही की गई है शायद यही वजह है कि उन्होंने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। विदित हो कि लालगंज पुलिस द्वारा चोरी के मामले में कई लोगों को हिरासत में लिया गया था । जिसमें से एक युवक की तबीयत बिगड़ने से जिला अस्पताल भर्ती कराया गया जहां उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों द्वारा चर्चित दरोगा जेपी यादव व अरविंद मौर्या पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
एसपी ने यह बतायी मौत की वजह
मामले में पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगई ने बताया कि पुलिस मोटरसाइकिल चोर गैंग के खिलाफ काम कर रही थी । इसी क्रम में पुलिस ने 10 बाइक भी बरामद की थी और मामले में चार अभियुक्तों को पकड़ा भी था । उनसे पूछताछ में मोहित और उसके भाई सोनू का भी नाम आया । इसके बाद पुलिस दोनों को पूछताछ के लिए 28 अगस्त को थाने लाई थी । इस दौरान मोहित के पेट में दर्द हुआ तो उसे जिला अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया उसे निमोनिया और फीवर की शिकायत थी । ऑक्सीजन लेवल भी कम था । इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी । ब्रजेश के आला अधिकारी पुलिस मित्र की बात कह रहे हैं वहीं पुलिस कस्टडी में थर्ड डिग्री का प्रयोग करने से भी पुलिसकर्मी नहीं पीछे हटते हैं तो इस तरह कैसे पुलिस मित्र प्रदेश की पुलिस बन पाएगी। आये दिन थाना क्षेत्रों की पुलिस नियम कानून तोड़कर पूछताछ के लिए तमाम लोगों को थाने लाती है। पुलिस की इस करतूत की शिकायतें जिला मुख्यालय पर भी आती है । 24 घंटे के बजाय 4 दिन से अधिक पुलिस थाने पर लोगों को रखती है। जबकि कानूनन किसी भी व्यक्ति को पुलिस 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती है उसे 24 घंटे में हर हाल में सक्षम माननीय न्यायालय के समक्ष आरोपी को पेश करना होता है परंतु इस मामले में पुलिस ने सारे नियम कानून को ताक पर रख दिया है। नियमानुसार किसी भी व्यक्ति को पूछताछ के लिए नोटिस के तहत बुलाने का प्राविधान है या फिर पुलिस घर से लाती है तो उसके परिजनों को मामले से अवगत कराती है समय दिन घंटा सब लिखा जाता है। लेकिन आज की पुलिस चोरों की भांति जिसको जहां पाती है वहीं से लाकर थाने पर बैठा देती है। कभी-कभी ऐसी स्थिति बनती है कि लोगों को महसूस होता है कि अपहरण कर लिया गया है। तमाम ऐसे मामले प्रकाश में आए जिसमें बाद में पता चला कि क्राइम ब्रांच या फिर थाने की पुलिस किसी मामले में पकड़ कर ले गई है। पुलिस द्वारा इस तरह के बर्ताव और लापरवाही पर संबंधित अधिकारियों को गौर करने की जरूरत है नहीं तो ऐसे ही पुलिस अभिरक्षा में लोगों की मौतें होती रहेगी।