रोहित गांधी की हत्याकाण्ड में तीन पुलिस कर्मी निलबिंत, क्या लगेगा सट्टा कारोबार पर अंकुश
1 min readसन्दीप मिश्रा
रायबरेली। रक्षाबंधन के दिन बदमाशों द्वारा रोहित गांधी की गोली मारकर हत्या करने के मामले में अपर पुलिस अधीक्षक नित्यानंद राय के जांच के बाद पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगई ने जहानाबाद चौकी प्रभारी राम राज कुशवाहा व मिल एरिया में तैनात दरोगा मृत्युंजय सहित सिपाही राहुल कुमार और अभय चौधरी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। फिलहाल एसपी की इस कार्यवाही ने लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों के लिए बड़ी चेतावनी है। वही एक बार फिर से सट्टा बाजार का जिन्न सबके सामने आ गया । क्योंकि आम जनमानस जानता है कि जनपद में कौन सट्टा और पर्ची जुआ का सरगना है और कहां से यह पूरा नेटवर्क चलता है । जिसमें लाखों रुपए तो दांव पर लगते ही हैं साथ ही साथ लोगों की जिंदगी भी दांव पर लग जाती है । यह अलग बात है कि इस कारोबार में हत्या जैसा मामला पहली बार सामने आया है । इस से साफ जाहिर है कि जहां पहले इस खेल में खिलाड़ी आते थे वहीं अब इस खेल में पेशेवर अपराधी भी आने लगे हैं। खेल तो पहले ही गैरकानूनी था और अब कानूनी लोग इसे बढ़ावा दे रहे हैं। यही कारण है कि वर्चस्व को लेकर रोहित गांधी की हत्या की बात सामने आ रही है और साथ ही साथ सट्टे का कारोबार निकल कर सामने आ रहा है। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि दो थानों के बीच चल रहा यह बाजार अभी तक लॉकडाउन की परिधि से बाहर ही रहा है और पुलिस को कोई भी जानकारी नहीं हो पाई । जबकि लोग बताते हैं कि जहां पर सट्टा बाजार लगता है वहां दूर से ही लोग बता सकते हैं कि इस जंगल के बीच में क्या हो रहा है । लेकिन शहर की पुलिस है कि उसे कुछ दिखाई ही नहीं देता है और इसका सबसे बड़ा कारण यहां पर सालों से जमे पुलिस अधिकारी ही बताए जाते हैं । क्योंकि नए कर्मचारी को तो पता ही नहीं चलता है कि कारोबार कहां पर हो रहा है और जब यह भी पता हो कि यह कारोबार ईमानदार पुलिस कर्मियों के दौरान भी चल रहा था और इन पर हाथ डालने पर भी उच्च स्तर से कार्रवाई संपादित हो सकती है । तो फिर इतने दबाव के बीच छोटे पुलिसकर्मी कैसे इन बड़े अपराधियों पर हाथ डाल सकते हैं। जबकि की सभी जानते हैं कि बड़े अपराधियों पर बड़े ही लोगों का हाथ रहता है । सबसे बड़ा सवाल मृतक रोहित गांधी के साथ हुए पूर्व में घटनाओं से है। जब कई बार आरोपित और मृतक के बीच लड़ाई झगड़ा और धमकी जैसी वारदातें प्रकाश में आई तो आखिर पुलिस द्वारा सट्टेबाज व बेखौफ जसप्रीत सिंह पर कार्यवाही क्यों नही हुई। बताया तो यह भी जाता है कि लॉकडाउन के पहले रोहित गांधी व जसप्रीत के बीच लड़ाई झगड़ा का मामला भी कोतवाली पुलिस तक पहुंचा था। लेकिन मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। जिसका नतीजा हुआ कि रोहित को अपनी जान गवा कर इसकी कीमत चुकानी पड़ी।